तेरा दीवाना

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जानू  मैं खुद की हकीकत ,
जानू  मैं खुद की फितरत,
पर न अपना हाल जानू रे,
मैं तो बस पल भर के लिए, तेरा दीदार चाहू रे||

मैं तो पहली नज़र का प्यार न मानु,
न ही लैला-मजनू का प्यार जानू रे|
फिर भी उसकी पहली झलक,
उसकी सुन्दरता को सवारना चाहू रे||

न मीरा की भक्ति पहचानू,
न ही राधा का प्यार जानू रे|
बस उस पागलपन में रम जाऊ,
जीवन भर का सुकून पा लू रे||

न कोई चाहत, न कोई ताकत,
अब तक ऐसी न जागी रे|
लगता है जैसे खुला है भाग,
तेरा पहली बार अभागी रे||

अब तो काम में मन न लागे,
खाने का स्वाद न चख पाऊ रे|
मुस्कान हो या उसकी आँखें,
बस डूबता ही जाऊ रे||

अब तो उस बिन रहा न जाये,
पर रूबरू होने से घबराऊ रे|
प्रेम पत्र से भावना व्यक्त न होवे,
कैसे उसको समझाऊ रे||

रिश्वत देती है, चांदनी रात की,
फिर भी न उसकी सुन्दरता सराहू रे|
अनमोल है तेरी सूरत,
मैं तो उसी के गुण गाऊ रे|| 

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